Monday, June 25, 2018

मैं डरता हूँ

मैं डरता हूँ
अपने घर में रहने से डरता हूँ
सड़क पर चलने से डरता हूँ
किसी के साथ से 
इशारे करते हर हाथ से डरता हूँ
काम से डरता हूँ
काम के परिणाम से डरता हूँ
नाम से डरता हूँ
कमाई हुई प्रतिष्ठा, धन से डरता हूँ
होने वाली हर अनबन से डरता हूँ
उठती इच्छाओं से डरता हूँ
हिंसक भावनाओं से डरता हूँ
बीमारी से डरता हूँ
लाचारी से डरता हूँ
कल आने वाली अपनी बारी से डरता हूँ
आशा से डरता हूँ
हताशा से डरता हूँ
खाए हुए हर झांसा से डरता हूँ
मिट्टी से डरता हूँ
पानी से डरता हूँ
सुगंध से भरी रातरानी से डरता हूँ
हवा में तैरते पराग से
उमड़ते हुए भाग से
पक्षियों के आवाज़ से डरता हूँ।

डरता हूँ
क्यूँकि जब तक डरता हूँ
तभी तक लड़ता हूँ
मैं हर दिन अपने में 
एक नया व्यक्ति गढ़ता हूँ

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