शांत पड़ा है सब कुछ
एकांत बड़ा है, सन्नाटा है
जीवन पर छाया भाटा है
चेहरों पर सबके भय है
मानव में कितनी मानवता
जीवन में कितना लय है
यह तो अब जा कर जाना
जब चारों ओर प्रलय है
लेकिन, जब ऐसा होता है
जीवन का सब कुछ खोता है
साथ नहीं कोई संगी कोई
दिन भी रातों-सा रोता है
ऐसी मुश्किल में पीड़ा में
कौन हमारा दुःख ढोता है
जितना भी मुश्किल हो जीना
जीने की आहट देता है
ऐसे में दिल ही ईश है अपना
लड़ने की हिम्मत देता है
कहते हैं, हम सब के अंदर
सुधा भरा एक दिल होता है।
(मृत्युंजय)
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