तुमसे अगर कोई सवाल पूछे
तो जवाब मत देना
जवाबों के
कई पहलू निकल आते हैं आज कल
क्या पता
तुम्हारे विचार
उस पड़ोसी से मेल खा जाएं
जिसे लोग सनकी कहते हैं
यह भी कहते हैं लोग
कि वह दिन भर सोता रहता है
कोई काम नहीं करता
रातों को जुलूसों में जाता है
और जब जुलूस थक कर लौट जाते हैं
तब भी वह वहीं बैठा
एक और जुलूस की अपेक्षा करता है
वह अख़बार नहीं पढ़ता
अख़बारों को बेच कर
झाल-मूढ़ी खाता है
जुलूसों से इस झाल-मूढ़ी का
पुराना एक नाता है
फिर भी उसे लोग
संस्कारहीन कहते हैं
वह परंपराओं को नहीं मानता
उसकी आंखों के कोरों पर
जमा रहता है धुंआ और राख
नालंदा में जली क़िताबों का
उनके साथ जली बुनियादों का
यह भी हो सकता है
कि तुम्हारा जवाब
किसी ऐसे से मेल खा जाए
जिसे लोग देशभक्त कहते हैं
फिर तो ख़ैर नहीं तुम्हारी
तुम्हें बताना पड़ेगा
वह कारण
जिसने बाबरी मस्जिद तोड़े
जिसकी चपेट में गांधी क्या
और क्या अम्बेडकर
रख दिया जिसने
सबको भेद कर
एक और भी है
जिससे तुम्हारे विचार मेल खा सकते हैं
लेकिन वह अपाहिज है
उसे कोई किसी में नहीं गिनता
वह रेत पर सपने बनाता है
और हवा से उसके नक्श गढ़ता है
वह ख़ुश है
क्योंकि दुःखी होने की
कोई वज़ह नहीं दिखती
वह केवल बामियान में टूटी
बुद्ध की मूर्तियों पर रोता है
एक और सूरत भी हो सकती है
तुम्हें शायद अपना जवाब
वापस लेना पड़े
तो ले लेना
क्योंकि उसे ही लोग
सभ्य व्यवहार कहते हैं
विचाररहित भावों का
यथोचित संचार कहते हैं।
(मृत्युंजय)
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