सुनो सुनो
एकांत ने
शोर का गिरेबां पकड़ लिया है
हवा
उसके तन पर जमा गर्द झाड़ रही है
और कल तक सड़क के कोने से चिपका
मरियल खौराया कुत्ता
बीच सड़क पर अंगड़ाई ले रहा है
उसके दिखते ही
उसे दौड़ा लेने वाले कुत्ते
बागों में कबड्डी खेल रहे हैं
सुबह की सैर और वर्जिश वाले मनुष्य
छुपा कर मुँह
तरह तरह के नक़ाबों में
एक-दूसरे से छुपते फिर रहे हैं।
एक दीया
इस विडम्बना के नाम! ...
ख़लील चिक के
मांस की दुकान के बाहर
कई दिनों से
एक बकरे का सर रखा है
जिसकी आंखें खुली हैं
और ऐसे चमक रही हैं
जैसे दुकान की बंद पाटों के नीचे से
सर निकाल कर
बाहर की दुनिया का मुआयना करता
वह बैठा हो।
एक दीया इस भ्रांति के नाम भी! ...
सुना है
भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या
उन लोगों की मृत्यु के बराबर हो गयी है
जो इससे डर कर
भूख और बेकारी
अपनी पीठ पर बांधे
अपने गांवों की तरफ भागे थे
पता नहीं किस चीज़ से हलाक़ हुए
रास्ते में
कोरोना से मरने की ख्याति उन्हें नसीब नहीं हुई
एक दीया
उनकी आत्मा की
शांति के नाम भी!....
(मृत्युंजय)
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