Mrityunjay Kumar Singh
Monday, April 29, 2013
चाँदनी की धनक
साफ़-सुथरे आसमान पर
खुलके पसरने की सनक,
आज दिखी है चाँदनी की धनक।
कुछ सितारे झिलमिलाए
अलसाए, आंखें चुराए,
बहुत दिन हुए, ऐसी देखी ना दमक।
आज दिखी है चाँदनी की धनक!
(मृत्युंजय)
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