Sunday, April 7, 2013

तुम चुनो!


तुम चुनो, क्यूँकि चुनाव तुम्हारी बपौती है,
हमारे लिए तो जीना भी एक चुनौती है।
सुबह गुसल के पानी से 
शुरू होती है हमारी खोज,
और रात तक कुरेदती है
नालों से नल तक के सारे उपाय।
नाले तुमने ढँक दिए
क्यूँकि तुम्हे बास आती थी,
नल हमारे हिस्से में आये ही नहीं;
तुम्हारे सारे विकास और जागरण के अभियान
उस मोड़ पर ही ठिठक गए
जहाँ से हमारे जीवन की
संकरी गली शरू होती है।
इस आज़ाद मुल्क में आजादी भी रोती है।

(mrityunjay)

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