Tuesday, November 29, 2016

हम बोलेंगे

हम बोलेंगे
कि वो
जो एक गोली से मरा
एक दुर्घटना का शिकार था
उसके बारे में
सोचना ही बेकार था।

हम बोलेंगे
कि वो सब
जो पंक्तियों में पड़े हैं
अपनी मर्ज़ी से खड़े हैं।
कोई काम नहीं था उनको
इसलिए
बदतमीज़ी पर अड़े हैं।

हम ये भी बोलेंगे
कि गलता हुआ हिमालय
एक अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का
कुचक्र है
हम ग़लत समझे
हमारी बुद्धि ही थोड़ी वक्र है।

हम बोलेंगे, यह भी
कि हमारे आसमान में
जो भरा है
भूरा धुआँ
वो प्रकृति के
नैसर्गिक नियमों की पहचान है
डरना नहीं
मौसम का ये नया दान है।

हम बोलेंगे, कई बार
कि मौत और लाचारी की
सारी बातें
बस कोरा गप्प है
वरना क्यूँ नहीं बताया
जब सबके हाँथ में अब
ट्वीटर, फेसबुक, व्हाट्स अप है?

हम बोलेंगे, शायद यह भी
कि आसमान में सुराख़
वैज्ञानिकों की लापरवाही है
वरना ज़मीन पर
किसे पता है
कि आसमान में केवल स्याही है।

हम सब कुछ बोलेंगे,
लेकिन पहले
मेरा गला तो छोड़ो
कि थोड़ी साँस आए!
(मृत्युंजय)

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