एहसास का पुल
इतना लंबा हो जाता है
तुमसे मिलकर
कि जैसे
स्वयं के बीच ही
बन गई हो एक दूरी
एक छोर पर खड़ी
प्रतीक्षा
दूसरे छोर की बाहों में
लिपटने को आमादा
हिला जाती है पुल
और बह जाता हूँ
मैं
गिर कर पुल से
आकांक्षाओं की
हरहराती नदी में
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