परिस्थिति, स्थिति, नियति,
क्या एक ही प्रारब्ध की कड़ी हैं?
जीवन, जिज्ञासा, जिजीविषा,
हर एक, क्या दूसरे से बड़ी हैं?
परिस्थिति,
बन आती है बिना बताए।
स्थिति,
बिगड़ जाती है बिना बताए।
नियति,
टल जाती है बिना बताए।
जीवन,
ढल जाता है बिना किसी कारण।
जिज्ञासा,
चुक जाती है बन के उदाहरण।
जिजीविषा,
कर लेती है भिन्न रूप धारण।
मनुष्य, क्या केवल
अनासक्त आत्मा का
आसक्त एक चारण?
(Mrityunjay)
26.10.2013
क्या एक ही प्रारब्ध की कड़ी हैं?
जीवन, जिज्ञासा, जिजीविषा,
हर एक, क्या दूसरे से बड़ी हैं?
परिस्थिति,
बन आती है बिना बताए।
स्थिति,
बिगड़ जाती है बिना बताए।
नियति,
टल जाती है बिना बताए।
जीवन,
ढल जाता है बिना किसी कारण।
जिज्ञासा,
चुक जाती है बन के उदाहरण।
जिजीविषा,
कर लेती है भिन्न रूप धारण।
मनुष्य, क्या केवल
अनासक्त आत्मा का
आसक्त एक चारण?
(Mrityunjay)
26.10.2013
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