सर्दियों से न जाने क्यूँ
याद आता है ज़ुकाम,
ठहरा हुआ, रुका हुआ, सारा काम.
दादी का कफ़ से खरखराता गला,
पिता का धोबियों से
पटके गए कपड़ों कि तरह छींकना,
दादा जी के गळगळाते गरारे,
बहती नाक से परेशान
कपड़े के बाजू,
आँखों में खीझ सम्भाले
बिना बताये सरक आयी शाम,
ठहरा हुआ, रुका हुआ, सारा काम.
खेतों पर सहम कर फैली
गाँव के चूल्हों से बही
धुएँ की ओढ़नी,
मुँह पर पड़ने से
खाँस-खाँस हलकान
खेत अगोरता, मँगरू पहलवान
खुजला रहा,
ऊब से चिनकती अपनी चाम,
ठहरा हुआ, रुका हुआ, सारा काम.
रज़ाई की गठरी से झाँकती
नानी की आँखें
टोह रही,
ठंढ के सिकुड़ने का
बाट जोह रही.
प्रातः की गायी जाने वाली पराती
ऐसे ही नहीं छोड़ी जाती;
कँपकँपाते अन्तर में
थरथराता राम का नाम,
ठहरा हुआ, रुका हुआ, सारा काम.
(mrityunjay)
याद आता है ज़ुकाम,
ठहरा हुआ, रुका हुआ, सारा काम.
दादी का कफ़ से खरखराता गला,
पिता का धोबियों से
पटके गए कपड़ों कि तरह छींकना,
दादा जी के गळगळाते गरारे,
बहती नाक से परेशान
कपड़े के बाजू,
आँखों में खीझ सम्भाले
बिना बताये सरक आयी शाम,
ठहरा हुआ, रुका हुआ, सारा काम.
खेतों पर सहम कर फैली
गाँव के चूल्हों से बही
धुएँ की ओढ़नी,
मुँह पर पड़ने से
खाँस-खाँस हलकान
खेत अगोरता, मँगरू पहलवान
खुजला रहा,
ऊब से चिनकती अपनी चाम,
ठहरा हुआ, रुका हुआ, सारा काम.
रज़ाई की गठरी से झाँकती
नानी की आँखें
टोह रही,
ठंढ के सिकुड़ने का
बाट जोह रही.
प्रातः की गायी जाने वाली पराती
ऐसे ही नहीं छोड़ी जाती;
कँपकँपाते अन्तर में
थरथराता राम का नाम,
ठहरा हुआ, रुका हुआ, सारा काम.
(mrityunjay)